पटना की सड़कों पर युवा सर्वेक्षणकर्मी अपने हक़ और अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। लंबे समय से बेरोज़गार युवा अपनी न्यायपूर्ण माँगों के लिए आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन भाजपा–जदयू सरकार ने उनके प्रयासों को नजरअंदाज़ करते हुए कई आंदोलनकारियों को बर्ख़ास्त कर दिया। यह केवल एक नाइंसाफी नहीं है, बल्कि युवाओं के भविष्य और उनके सपनों पर सीधे हमला है।
मोदी–नीतीश की डबल इंजन सरकार बेरोज़गारों के अधिकारों को दबाने और उनकी आवाज़ को खामोश करने के लिए सख़्त कदम उठा रही है। आंदोलनकारी युवाओं के खिलाफ लाठियों का इस्तेमाल और उनका उत्पीड़न इस बात का सबूत है कि सरकार अपने वादों और युवाओं के भविष्य की अनदेखी कर रही है।
महागठबंधन युवाओं के संघर्ष के साथ खड़ा है और उनके हक़ की लड़ाई को समर्थन दे रहा है। इन युवाओं की आवाज़ केवल सड़कों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सदन और सभी संबंधित मंचों तक गूँजती रहेगी। उनकी नौकरियाँ लौटानी होंगी और उनकी माँगें माननी होंगी। यह संघर्ष युवाओं के अधिकारों और भविष्य की रक्षा की लड़ाई बन चुका है