राजीपुर पंचायत के ग्रामीणों का गुस्सा उस समय भड़क उठा जब पंचायत सरकार भवन को नियमों की खुली अनदेखी कर 4 किलोमीटर दूर बदूरी में बनाने की शुरुआत कर दी गई। ग्रामीणों का कहना है कि न तो इस मुद्दे पर ग्रामसभा बुलाई गई और न ही पंचायत के मुखिया या जनप्रतिनिधियों से कोई चर्चा की गई। लोकतंत्र की बुनियादी प्रक्रिया को दरकिनार कर लिया गया और जनता की भागीदारी को पूरी तरह नकार दिया गया।
आज इस अन्याय के खिलाफ़ राजीपुर के ग्रामीणों ने पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय पर ज़बरदस्त विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान एक प्रतिनिधिमंडल ने मेरे नेतृत्व में DCLR और SDO से मुलाकात कर पूरे मामले को विस्तार से रखा। अफ़सरों ने उचित जाँच और कार्रवाई का आश्वासन दिया, लेकिन जनता का आक्रोश अब भी शांत नहीं है।
यह विवाद केवल एक भवन की जगह को लेकर नहीं है, बल्कि यह साफ़ दर्शाता है कि बिहार की जदयू-भाजपा सरकार में अफ़सरशाही किस तरह जनता और जनप्रतिनिधियों पर हावी होती जा रही है। जब जनता की राय और जनप्रतिनिधियों की भूमिका को नज़रअंदाज़ किया जाता है, तो लोकतंत्र का असली अर्थ खोने लगता है।