लोकतंत्र की असली ताक़त जनता का वोट है। हर नागरिक का वोट न केवल उसकी आवाज़ है, बल्कि संविधान द्वारा दिया गया उसका सबसे बड़ा अधिकार भी है। लेकिन बिहार में हाल ही में S.I.R. (Special Summary Revision या अन्य प्रशासनिक प्रक्रिया) के नाम पर जिस तरह से लाखों वोट काटे गए हैं, वह लोकतांत्रिक मूल्यों पर सीधा हमला है। यह केवल चुनावी प्रक्रिया की खामियों का मामला नहीं, बल्कि सुनियोजित तरीके से गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग को राजनीति से बाहर करने की कोशिश है।
एक भी वोट की कटौती लोकतंत्र की आत्मा को आहत करती है, और जब लाखों वोट एक झटके में समाप्त कर दिए जाएँ तो यह लोकतंत्र के साथ खुला खिलवाड़ है। चुनाव तभी निष्पक्ष और पारदर्शी माने जाएँगे जब हर नागरिक को अपने मताधिकार का उपयोग करने का समान अवसर मिले। लेकिन S.I.R. की आड़ में जिन वर्गों को निशाना बनाया गया है, वे वही तबके हैं जो हमेशा से सामाजिक और आर्थिक रूप से हाशिये पर रहे हैं।
जरूरत इस बात की है कि इस संगठित साज़िश के खिलाफ जनता अपनी आवाज़ बुलंद करे। प्रत्येक नागरिक को अपने मताधिकार की रक्षा के लिए सजग होना होगा और प्रशासन से यह माँग करनी होगी कि हर वोटर का नाम मतदाता सूची में दर्ज हो तथा बिना कारण किसी का वोट न काटा जाए। लोकतंत्र तभी मज़बूत होगा जब सबसे कमजोर और हाशिये पर खड़े व्यक्ति की आवाज़ भी चुनावी प्रक्रिया में शामिल होगी।