"बिहार चुनाव में बदलाव की बयार: दीपांकर भट्टाचार्य का वर्ग संघर्ष" शीर्षक इस ओर इशारा करता है कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का सवाल नहीं है, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दिशा तय करने वाला चुनाव भी हो सकता है। सीपीआई-एमएल (CPI-ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य इस चुनाव को आम जनता की समस्याओं, उनके संघर्ष और भविष्य की उम्मीदों से जोड़कर देखते हैं।
उनका मानना है कि भाजपा एक तरफ है और बाकी दल दूसरी तरफ, और यह चुनाव आम लोगों की परेशानियों का समाधान ढूंढने वाला चुनाव बन सकता है। खासकर महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने और समाज के वंचित वर्गों को राजनीतिक प्रतिनिधित्व देने की बात वे खुलकर रखते हैं।
वहीं, वर्ग संघर्ष बनाम जातीय पहचान की राजनीति पर भी उनकी राय अहम है। लंबे समय तक माना जाता रहा कि मंडल राजनीति ने वामपंथी आंदोलन को कमजोर किया, लेकिन दीपांकर भट्टाचार्य यह स्पष्ट करते हैं कि वर्ग संघर्ष और सामाजिक न्याय की राजनीति को विरोधाभास की तरह देखने के बजाय, उन्हें एक-दूसरे के पूरक के रूप में समझना चाहिए।