आज नालंदा ज़िले के इस्लामपुर में 'हक़ दो, वादा निभाओ' आंदोलन के तहत हज़ारों गरीब, मजदूर और वंचित तबकों ने सड़कों पर उतरकर अपने अधिकारों की बुलंद आवाज़ उठाई। यह आंदोलन अब केवल नारों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि जनता की पीड़ा, आक्रोश और उम्मीदों का ज़मीनी रूप बन चुका है।
सरकार द्वारा किए गए वादे — जैसे 6 हज़ार रुपये से कम आमदनी वाले परिवारों को ₹2 लाख की सहायता, भूमिहीनों को 5 डिसमिल ज़मीन, और प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान — आज भी अधूरे हैं। इन अधूरे वादों के खिलाफ इस्लामपुर की जनता ने साफ़ कहा: अब सिर्फ़ भरोसा नहीं, हक़ चाहिए।
इस्लामपुर की गलियों और चौक-चौराहों पर आज न्याय और अधिकार की आवाज़ गूंज रही थी। इस आंदोलन में शामिल जनता ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है — पीछे हटना कोई विकल्प नहीं। इस्लामपुर की धरती इन दिनों जनसंघर्ष की प्रतीक बन चुकी है। यहाँ के लोगों ने अब चुप्पी तोड़ दी है और अपने अधिकारों