पिछले 11 सालों में मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने बिहार को विकास की राह पर नहीं, बल्कि बेरोज़गारी, पलायन और बदहाली की खाई में धकेल दिया। 1.25 लाख करोड़ के विशेष पैकेज का हिसाब अब तक गायब है, पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा अब तक नहीं मिला, विशेष राज्य का दर्जा सिर्फ़ चुनावी जुमला बनकर रह गया। शिक्षा और स्वास्थ्य पर खर्च देश में सबसे नीचे है, औद्योगिक निवेश लगभग शून्य है, और हर साल लाखों युवाओं को रोज़गार की तलाश में घर छोड़कर पलायन करना पड़ता है।
पिछले 11 वर्षों में मोदी और नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार की जनता को विकास के नाम पर केवल जुमले और वादे दिए। चुनावी मंच से 1.25 लाख करोड़ रुपये का विशेष पैकेज घोषित किया गया था, लेकिन उसका कोई ठोस हिसाब
लेकिन वह आज भी अधूरा है। बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का मुद्दा भी सिर्फ़ राजनीतिक भाषणों में रह गया, हकीकत में जनता को कुछ हासिल नहीं हुआ इन 11 वर्षों ने यह साबित कर दिया है कि मोदी-नीतीश की जोड़ी ने बिहार को विकास नहीं, बल्कि बदहाली, बेरोज़गारी और पलायन की राह पर धकेला।