हर रविवार हमारे लिए केवल एक दिन नहीं, बल्कि जनसेवा के संकल्प को निभाने का अवसर होता है। हम न केवल जनता से किए गए वादों को याद रखते हैं, बल्कि उन्हें निभाने के लिए प्रत्यक्ष रूप से जनता के बीच पहुँचते हैं। उनकी समस्याएं सुनना, सुझाव लेना और समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाना — यही हमारी सच्ची सेवा भावना है। यह परंपरा सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि विश्वास और ज़िम्मेदारी का प्रतीक है, जो हमें जनता से जोड़ता है।
हम मानते हैं कि जनप्रतिनिधि का कार्य सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं होता, बल्कि असली काम तो तब शुरू होता है जब वह लोगों के बीच रहकर, उनकी ज़रूरतों और अपेक्षाओं को समझकर, उन्हें पूरा करने के लिए ईमानदारी से कार्य करता है।हर रविवार हम गांवों, कस्बों, वार्डों, मोहल्लों और शहर की गलियों में पहुँचते हैं
जनता की भागीदारी, उनकी बातों को गंभीरता से सुनना और उनसे लगातार संपर्क में रहना ही सुशासन की असली कुंजी है। यही वजह है कि हमारा हर रविवार सिर्फ एक दिन नहीं, बल्कि भरोसे, संवाद और सेवा का उत्सव बन चुका है। यह परंपरा आगे भी जारी रहेगी — जब तक जनता का विश्वास हमारे साथ है, और हम उस विश्वास पर खरे उतरते रहेंगे।