जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में AISA-DSF गठबंधन ने अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव पद पर शानदार जीत हासिल की है। तमाम रुकावटों और साज़िशों के बावजूद जेएनयू ने एक बार फिर लोकतंत्र और प्रगतिशील सोच की परंपरा को मजबूत किया है। यह जीत छात्रों के संघर्ष, एकजुटता और बदलाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ चुनाव में AISA-DSF गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज कर एक बार फिर साबित कर दिया कि विचारों, लोकतंत्र और संघर्ष की परंपरा आज भी जीवित है। अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भारी बहुमत से जीत हासिल इस गठबंधन ने उन तमाम साज़िशों और बाधाओं को नकार दिया, जो जेएनयू की स्वतंत्र और प्रगतिशील सोच को दबाने के लिए रची गई थीं।
यह चुनाव न केवल संगठनात्मक शक्ति का परिचायक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि शिक्षा, रोजगार, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र जैसे मुद्दे आज भी छात्रों के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। इस जीत के साथ ही एक स्पष्ट संदेश भी गया है कि जेएनयू का छात्र समुदाय अपने विश्वविद्यालय की आलोचनात्मक सोच, बहस और संवाद की संस्कृति को कमजोर नहीं होने देगा।
AISA-DSF गठबंधन ने चुनाव प्रचार के दौरान जो मुद्दे उठाए — जैसे शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ लड़ाई, कैंपस में लैंगिक समानता, सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा — वे छात्रों के बीच गहरी पकड़ बना पाए। इसके चलते उन्हें व्यापक समर्थन मिला और उन्होंने अपने विरोधियों को निर्णायक रूप से पराजित किया।