बिहार में जनता अब पूरी तरह बदलाव के मूड में है। बढ़ती बेरोजगारी, अपराध, भ्रष्टाचार और सरकारी संवेदनहीनता ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब और नहीं। भाजपा-जदयू की सरकार ने जनता के भरोसे को तोड़ा है और हर मोर्चे पर विफल रही है — चाहे वह युवाओं को रोजगार देने की बात हो, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की या महिलाओं की सुरक्षा की।
बिहार आज एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। भाजपा-जदयू की मौजूदा सरकार ने जिस तरह से राज्य की जनता की उम्मीदों और जरूरतों को नजरअंदाज़ किया है, उसने जनआक्रोश को जन्म दिया है। बढ़ती बेरोजगारी, किसानों की बदहाल स्थिति, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की उपेक्षा, और सबसे अहम — महिलाओं और दलित-पिछड़ों पर बढ़ते हमले — यह सब दर्शाता है कि यह सरकार जनहित से कोसों दूर जा चुकी है।
बिहार के युवा आज हताश हैं, क्योंकि न तो उन्हें रोजगार मिला, न ही सम्मानजनक शिक्षा का अवसर। शिक्षक भर्ती और अन्य नियुक्तियों में धांधली ने युवाओं की उम्मीदों को रौंद डाला है। किसान लागत से नीचे दामों पर अपनी फसल बेचने को मजबूर हैं, और महिला सुरक्षा की हालत इतनी बदतर हो गई है कि बेटियां खुद को घर से बाहर असुरक्षित महसूस करने लगी हैं। जनता अब जाग चुकी है। गांव, कस्बे, शहर और विश्वविद्यालयों तक में एक ही स्वर उभर रहा है