हाल ही में बिहार की शिक्षा व्यवस्था में सामने आया एक बड़ा घोटाला पूरे राज्य में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस घोटाले में सरकारी योजनाओं और शिक्षा विभाग के बजट का दुरुपयोग, भ्रष्टाचार और अनियमितताओं की बात सामने आई है, जिसने लाखों विद्यार्थियों और उनके परिवारों के भविष्य को संकट में डाल दिया है। परंतु, इस गंभीर मुद्दे पर सदन में शिक्षा मंत्री द्वारा दी गई जवाबदेही में खुली तौर पर गुमराह करने की कोशिश की गई, जिससे स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।
सरकार के इस रवैये ने शिक्षित युवाओं, अभिभावकों और शिक्षकों में गहरी निराशा फैला दी है। लाखों छात्र आज भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित हैं, और ऐसे समय में जब शिक्षा ही देश का भविष्य है, वहां भ्रष्टाचार की छाया इस भविष्य को अंधकारमय बना रही है। इसके बावजूद मंत्री ने सदन में इन आरोपों को खारिज करते हुए गलत तथ्य प्रस्तुत किए, जिससे जनता का विश्वास सरकार से डगमगा गया है।
साथ ही, यह मामला मीडिया और सामाजिक संगठनों के लिए भी सतर्कता का कारण बना है। वे लगातार इस घोटाले की तह तक जाने और दोषियों को सख्त सजा दिलाने की मांग कर रहे हैं। छात्रों के हक की लड़ाई में छात्र संगठन भी सक्रिय हो उठे हैं, जो शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।