बिहार की जनता अब चुप नहीं बैठेगी। सरकारी तंत्र के नाम पर चल रही आउटसोर्सिंग की लूट, कर्मचारियों की तनख्वाह में की जा रही कटौती, और नौकरियों में पारदर्शिता के स्थान पर रिश्तेदारी और दलाली का बोलबाला — यह सब अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एक ओर लाखों युवा बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर चंद दलालों और सत्ताधारियों के रिश्तेदार मलाईदार पदों का लाभ उठा रहे हैं।
यह केवल आर्थिक शोषण नहीं, बल्कि मेहनतकश युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। जब सरकार जनता की नहीं, बल्कि बिचौलियों और अपनों की हो जाती है, तब बदलाव अनिवार्य हो जाता है। यह आवाज़ अब एक आंदोलन बन चुकी है — बदलाव की पुकार। यह पुकार है न्याय की, पारदर्शिता की, और एक ऐसे बिहार की, जहाँ अवसर सबके लिए बराबर हों।