देश की असली ताकत गाँवों में बसती है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और इसकी अधिकांश जनसंख्या अब भी गाँवों में निवास करती है। ऐसे में जब तक गाँव विकसित नहीं होंगे, तब तक देश की प्रगति अधूरी मानी जाएगी। हर गाँव तक विकास की रौशनी पहुँचाना केवल एक वादा नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी सोच है जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक सुविधाएँ पहुँचाने का संकल्प लेती है।
आत्मनिर्भर गाँव ही आत्मनिर्भर भारत की नींव हैं। जब ग्रामीणों को रोज़गार के अवसर अपने ही गाँव में मिलें, किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिले, और स्थानीय कारीगरों को बाज़ार तक सीधी पहुँच हो — तभी गाँवों में आत्मनिर्भरता की नींव मजबूत होगी। इसके लिए स्थानीय संसाधनों का समुचित उपयोग, छोटे उद्योगों को बढ़ावा, और ग्राम स्तरीय प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना जैसे कदम उठाना बेहद आवश्यक हैं।
यह केवल एक योजना नहीं, एक जन आंदोलन है। जब सरकार, समाज और स्वयं ग्रामीण लोग मिलकर विकास की इस प्रक्रिया में भागीदार बनते हैं, तभी सच्चा परिवर्तन आता है। महागठबंधन इसी सोच के साथ आगे बढ़ रहा है — कि हर गाँव रोशन हो, हर किसान खुशहाल हो और हर ग्रामीण सशक्त बने।