भोजपुर जिले के लहारपा गांव में हुए हालिया जनसंहार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भाजपा-जदयू शासनकाल में सामंती और आपराधिक ताक़तों का मनोबल चरम पर है। सत्ता संरक्षण में पल रहे ये तत्व अब खुलेआम दलितों, पिछड़ों और वंचित समुदायों पर हमले कर रहे हैं। यादव और कुशवाहा समुदाय के निर्दोष लोगों की नृशंस हत्या, और घायलों की स्थिति, इस बात का प्रमाण है कि कानून का डर अपराधियों के भीतर समाप्त हो चुका है।
भाकपा-माले ने इस वीभत्स घटना की तीव्र निंदा करते हुए कहा है कि भाजपा-जदयू की डबल इंजन सरकार बिहार को एक बार फिर 90 के दशक की सामंती हिंसा और दहशत के दौर में धकेलना चाहती है। माले के नेताओं का साफ कहना है कि ये हत्याएं सुनियोजित हैं और इनमें सत्ता संरक्षित अपराधी सीधे तौर पर शामिल हैं।
माले पार्टी ने ऐलान किया है कि अब वह चुप नहीं बैठेगी। पार्टी के अनुसार, संघर्ष की दिशा और गति दोनों अब तेज़ होगी। न केवल पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए, बल्कि सामंती व्यवस्था और उसके राजनीतिक संरक्षण के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ी जाएगी।
भोजपुर जिले के लहारपा गांव में हुआ ताजा जनसंहार एक बार फिर यह स्पष्ट करता है कि बिहार में भाजपा-जदयू सरकार के संरक्षण में सामंती और आपराधिक ताक़तों का मनोबल बेतहाशा बढ़ा है। यादव और कुशवाहा समुदाय के निर्दोष लोगों की हत्या तथा कई अन्य के घायल होने की यह घटना सिर्फ एक आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि सत्ता संरक्षित जातीय हिंसा का नंगा प्रदर्शन है।