भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की 24वीं पार्टी कांग्रेस एक ऐतिहासिक अवसर रहा, जहाँ विभिन्न वामपंथी विचारधाराओं के नेता, कार्यकर्ता और जनपक्षधर ताकतें एक मंच पर एकत्र हुईं। इस विशेष अवसर पर भाकपा (माले) के महासचिव कॉमरेड दीपंकर भट्टाचार्य का संबोधन बेहद महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक रहा। उन्होंने न केवल वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य की गहन समीक्षा की, बल्कि वामपंथी आंदोलन की दिशा,
कॉ. दीपंकर का भाषण सिर्फ एक औपचारिक संबोधन नहीं था, बल्कि यह एक विचारशील, सजीव और संघर्षशील राजनीतिक हस्तक्षेप था, जो आज के भारत में लोकतंत्र, समानता और जन-अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने वाले हर व्यक्ति को दिशा देता है। चुनौतियों और संभावनाओं पर भी विस्तार से चर्चा की।
कॉमरेड दीपंकर ने भारतीय लोकतंत्र पर मंडरा रहे खतरों की स्पष्ट व्याख्या की। उन्होंने कहा कि आज देश में एक संगठित, योजनाबद्ध तरीके से फासीवादी और सांप्रदायिक ताकतें लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही हैं। संविधान, न्यायपालिका, मीडिया और शैक्षणिक संस्थानों पर हमला हो रहा है, और इसका विरोध करना समय की मांग है।