हाल ही में हुए दर्दनाक सड़क हादसों में जिन परिवारों ने अपने प्रियजन खो दिए, उनसे मिलना एक भावुक और पीड़ादायक अनुभव रहा। जब हम किसी परिवार के आँसू, उनकी टूट चुकी उम्मीदें और चुप्पी में छिपे आक्रोश को सामने से देखते हैं, तो शब्द बेमानी लगते हैं। इन मुलाकातों ने यह अहसास और भी गहरा किया कि हमारे समाज को पीड़ितों की सिर्फ सहानुभूति नहीं, व्यवहारिक सहयोग और जिम्मेदार नीतियाँ भी चाहिए।
मैं वचन देता हूँ कि इन पीड़ित परिवारों की आवाज़ को हर मंच पर उठाऊँगा और न्याय दिलाने की हरसंभव कोशिश करूँगा। मैंने पालीगंज और आसपास के इलाकों में उन परिवारों से मुलाकात की जिनके घरों में यह अकल्पनीय त्रासदी आई। बुजुर्ग माता-पिता, बेसुध बच्चे और टूटे हुए परिजनों की आँखों में केवल एक ही सवाल था – "हमारे साथ ही क्यों?" उनके दुःख को बाँटना आसान नहीं था
मैंने शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और राज्य सरकार से माँग की कि प्रभावित परिवारों को यथाशीघ्र आर्थिक सहायता, स्वास्थ्य सुविधा और पुनर्वास की समुचित व्यवस्था प्रदान की जाए। इसके साथ ही मैंने प्रशासन से अपील की कि संबंधित हादसों की निष्पक्ष जांच हो और भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों, इसके लिए सड़क सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू किया जाए।