दिल्ली स्टेशन पर हुई भगदड़ की भयावह घटना में 18 से अधिक लोगों की दर्दनाक मौत और सैकड़ों के घायल होने की खबर अत्यंत दुखद और विचलित करने वाली है। यह केवल एक दुखद दुर्घटना नहीं, बल्कि केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन की गंभीर लापरवाही और असंवेदनशीलता का परिणाम है।
रेलवे में लगातार देखी जा रही अव्यवस्था, यात्री सुविधाओं की कमी, भीड़ प्रबंधन के नाम पर दिखावटी तैयारी और सुरक्षा उपायों की उपेक्षा ने इस त्रासदी को जन्म दिया। आम नागरिक, खासकर गरीब और मजदूर वर्ग, जो अपने परिवार से मिलने या काम की तलाश में यात्रा करता है — वही बार-बार इस सिस्टम की विफलता का सबसे बड़ा शिकार बनता है।
यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि देश की सबसे बड़ी परिवहन व्यवस्था, जो करोड़ों लोगों की जीवनरेखा है, उसमें कब तक ऐसी लापरवाहियाँ बर्दाश्त की जाती रहेंगी? आखिर इस भीषण हादसे की जिम्मेदारी कौन लेगा? क्या सिर्फ शोक और मुआवज़ा पर्याप्त है?
इस दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में रेलमंत्री को नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। केवल बयानबाज़ी और जांच समिति से न तो जानें वापस आएंगी और न ही व्यवस्था में भरोसा बहाल होगा। अब वक्त आ गया है कि सरकार जवाबदेही निभाए और रेलवे प्रणाली में संपूर्ण सुधार की ठोस पहल करे।
हर दिन लाखों लोग रेलवे के सहारे यात्रा करते हैं, खासकर गरीब, मजदूर और आम नागरिक। त्योहारों और छुट्टियों के समय यह संख्या कई गुना बढ़ जाती है। इसके बावजूद रेलवे स्टेशनों पर भीड़ प्रबंधन, सुरक्षा इंतज़ाम और यात्री सुविधाओं को लेकर गंभीर तैयारियाँ नहीं की जातीं। नतीजा – ऐसी त्रासदियाँ जिनमें जानें जाती हैं और परिवार तबाह हो जाते हैं।
Dr. Sandeep Saurav