"लाइब्रेरियन बहाली में डोमिसाइल नीति लागू" होना बिहार के युवाओं के लिए एक ऐतिहासिक और गर्वपूर्ण क्षण है। यह केवल एक सरकारी फैसला नहीं, बल्कि संघर्ष, आत्मसम्मान और न्याय की दिशा में उठाया गया एक अहम कदम है। इस निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि अब बिहार के नौजवानों को उनके अपने राज्य में प्राथमिकता मिलेगी, और बाहर से आकर अवसर छीनने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी।
लाइब्रेरियन बहाली को लेकर लंबे समय से यह मांग उठती रही थी कि बहाली प्रक्रिया में डोमिसाइल (स्थानीय निवासी होने) की अनिवार्यता होनी चाहिए, ताकि बिहार के छात्र-छात्राओं को नौकरियों में उचित प्रतिनिधित्व और अवसर मिल सके। कई युवा संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक लगातार उठाया और जनता के दबाव ने सरकार को यह नीति अपनाने के लिए मजबूर किया।
यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह न केवल नौकरी के अवसरों को सुरक्षित करती है, बल्कि बिहार के युवाओं की पहचान, गरिमा और आत्मबल को भी मजबूत करती है। इससे पहले विभिन्न बहाली प्रक्रियाओं में राज्य के बाहर के अभ्यर्थियों का दबदबा देखा गया था, जिससे स्थानीय अभ्यर्थी हाशिए पर चले जाते थे। अब इस फैसले के बाद एक नई परंपरा की शुरुआत होगी,