29 जुलाई को बिहार विधानसभा की पुस्तकालय समिति की महत्वपूर्ण बैठक संपन्न हुई, जिसमें राज्य में पुस्तकालय संस्कृति को पुनर्स्थापित करने की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। लंबे समय से इस दिशा में प्रयासरत समिति के सदस्य और पालीगंज के विधायक डॉ. संदीप सौरभ के प्रयास आखिरकार रंग लाए।
सभी पंचायतों में पुस्तकालय की योजना
इस योजना के तहत अब बिहार के हर पंचायत में पुस्तकालय होगा। पूर्व में बने पंचायत सरकार भवनों में एक कमरे को पुस्तकालय के रूप में उपयोग किया जाएगा, जबकि नए पंचायत सरकार भवनों में इसके लिए विशेष व्यवस्था की गई है। जहां पंचायत भवन नहीं हैं, वहां अन्य सरकारी भवनों या निजी भवनों (1₹ मासिक किराए पर) में पुस्तकालय चलाए जाने की योजना है।
पुस्तकालयों की विशेषताएं
- पुस्तक सामग्री: प्रत्येक पंचायत पुस्तकालय को 2 लाख की किताबें उपलब्ध कराई जाएंगी।
- अख़बार-पत्रिका: इन पुस्तकालयों के लिए 5,000₹ वार्षिक अख़बार और पत्रिकाओं पर खर्च किए जाएंगे।
- पुस्तकालय सचिव: पंचायत सचिव को इन पुस्तकालयों का सचिव बनाया जाएगा।
- लाइब्रेरियन बहाली: शिक्षा विभाग ने लाइब्रेरियन की नियुक्ति के लिए नियमावली तैयार कर कैबिनेट को भेजी है। मंजूरी मिलते ही नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी।
संघर्ष और सफलता की कहानी
विधानसभा पुस्तकालय समिति के तत्कालीन सभापति कॉ. सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया। विधायक डॉ. संदीप सौरभ ने विधानसभा में इस मुद्दे पर पहला प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग के साथ बातचीत के माध्यम से इसे मूर्त रूप दिया गया।
शिक्षा क्रांति की ओर कदम
इस निर्णय से राज्य में पुस्तकालय संस्कृति को मजबूती मिलेगी। पंचायत स्तर पर पुस्तकालयों की स्थापना से न केवल ग्रामीण युवाओं को पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल मिलेगा, बल्कि यह पहल "पढ़ेगा बिहार, आगे बढ़ेगा बिहार" के नारे को साकार करेगी। यह निर्णय बिहार को शिक्षा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक ले जाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।