आज 18 नवंबर को हम रेजांगला दिवस के रूप में 1962 के भारत-चीन युद्ध के उन वीर जवानों को नमन करते हैं, जिन्होंने अपनी शहादत से हमें सच्चे देशभक्त होने का पाठ पढ़ाया। इस दिन की अहमियत को समझाते हुए पालीगंज के विधायक डॉ. संदीप सौरभ ने कहा कि रेजांगला की लड़ाई भारत की सेना की अद्वितीय शौर्य और बलिदान की मिसाल बन गई है।
रेजांगला में मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 13 कुमाऊं रेजिमेंट के 120 जवानों ने -30°C की ठंड और सीमित संसाधनों के बावजूद 1,300 चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया। इस भयंकर लड़ाई में हमारे 114 वीर जवान शहीद हो गए, लेकिन उन्होंने अपनी जान की आहुति देकर 1,000 से अधिक दुश्मनों को मार गिराया, और अपनी मातृभूमि की रक्षा की। यह संघर्ष केवल एक युद्ध नहीं, बल्कि साहस, दृढ़ता और बलिदान का प्रतीक बन गया है।
विधायक डॉ. सौरभ ने कहा, "आज के दिन हमें अपने शहीदों की वीरता और बलिदान को याद करना चाहिए। हमें गर्व है कि हमारे सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपनी जान दी। उनका बलिदान कभी भी व्यर्थ नहीं जाएगा।"
उन्होंने सभी से आग्रह किया कि इस दिन को हम सम्मानपूर्वक मनाएं और एक दीया शहीदों के नाम जलाकर उनके अदम्य साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि दें। यह दिन हमें यह सिखाता है कि मातृभूमि की रक्षा के लिए हमारे जवानों ने अपनी जान की परवाह नहीं की और हमें उनकी वीरता को हमेशा याद रखना चाहिए।
रेजांगला के शहीदों ने दिखा दिया कि जब देश की आन, बान और शान की बात हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। 18 नवंबर का दिन हमेशा हमारे दिलों में शौर्य और सम्मान के रूप में जीवित रहेगा।