आज 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के अवसर पर विधायक डॉ. संदीप सौरभ ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा, "डॉ. अंबेडकर केवल भारतीय संविधान के निर्माता नहीं थे, बल्कि वे सामाजिक न्याय, समानता और स्वाभिमान के प्रतीक थे। उनके विचार और संघर्ष आज भी हमें प्रेरित करते हैं।"
डॉ. सौरभ ने बाबासाहेब के योगदान को याद करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर का संविधान न केवल लोकतंत्र की नींव है, बल्कि यह समाज के वंचित और कमजोर तबकों के अधिकारों का संरक्षक भी है। उन्होंने कहा, "बाबासाहेब ने हमें सिखाया कि शिक्षा, संघर्ष और साहस से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।"
संविधान की रक्षा का संकल्प
महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. सौरभ ने कहा कि आज जब कुछ ताकतें संविधान की मूल आत्मा—समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय—को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं, ऐसे समय में बाबासाहेब के विचार हमें अन्याय और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बाबासाहेब के एक महत्वपूर्ण उद्धरण को याद करते हुए कहा, "मैं किसी समुदाय की प्रगति को इस बात से मापता हूं कि समाज में सबसे कमजोर वर्ग के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।"
समतामूलक समाज के निर्माण का आह्वान
डॉ. सौरभ ने इस अवसर पर सभी नागरिकों से अपील की कि वे डॉ. अंबेडकर के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए उनके दिखाए रास्ते पर चलें। उन्होंने कहा, "महापरिनिर्वाण दिवस केवल श्रद्धांजलि देने का अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारे संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए संकल्प लेने का दिन है। आइए, हम सब मिलकर एक समतामूलक, न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज का निर्माण करें।"
डॉ. अंबेडकर को कोटि-कोटि नमन
कार्यक्रम के अंत में विधायक ने सभी उपस्थित लोगों के साथ बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने "जय भीम" के नारे के साथ बाबासाहेब को नमन करते हुए समाज के प्रति उनकी अमूल्य सेवा को याद किया।