महापरिनिर्वाण दिवस पर डॉ. सौरभ ने कहा कि आज जब कुछ ताकतें संविधान की मूल आत्मा—समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय—को खत्म करने का प्रयास कर रही हैं, ऐसे समय में बाबासाहेब के विचार हमें अन्याय और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। उन्होंने बाबासाहेब के एक महत्वपूर्ण उद्धरण को याद करते हुए कहा, "मैं किसी समुदाय की प्रगति को इस बात से मापता हूं कि समाज में सबसे कमजोर वर्ग के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।"
डॉ. सौरभ ने इस अवसर पर सभी नागरिकों से अपील की कि वे डॉ. अंबेडकर के अधूरे सपनों को साकार करने के लिए उनके दिखाए रास्ते पर चलें। उन्होंने कहा, "महापरिनिर्वाण दिवस केवल श्रद्धांजलि देने का अवसर नहीं है, बल्कि यह हमारे संविधान की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए संकल्प लेने का दिन है। आइए, हम सब मिलकर एक समतामूलक, न्यायपूर्ण और प्रगतिशील समाज का निर्माण करें।