लोक परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध खपुरी गाँव एक बार फिर चइता महोत्सव 2025 के रंग में रंग उठा है। इस महोत्सव ने न केवल गांव की मिट्टी में रचे-बसे लोकगीतों को जीवंत किया, बल्कि पूरी क्षेत्रीय संस्कृति को एक मंच पर सहेजने और संजोने का कार्य किया। चइता महोत्सव 2025 ने यह साबित कर दिया कि जब एक समुदाय अपनी जड़ों से जुड़ता है, तो न सिर्फ परंपरा जीवित रहती है, बल्कि एक नई सांस्कृतिक चेतना भी जन्म लेती है।
चैत्र मास की शुरुआत के साथ ही जब फिजा में हल्की गर्मी और खेतों में पकी फसलों की सुगंध फैलने लगती है, तब लोकमानस में उमड़ती है चइता की मिठास। इसी पारंपरिक विरासत को जीवंत रखने के उद्देश्य से आयोजित किया गया यह महोत्सव, लोकगीतों, नृत्यों, वाद्ययंत्रों और जनभावनाओं का अनुपम संगम बन गया।
महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की भागीदारी ने आयोजन को और भी समावेशी और जीवंत बना दिया। रंग-बिरंगे परिधानों में सजे लोग, पारंपरिक पकवानों की खुशबू और हर दिशा से आती लोकधुनें — यह सब मिलकर खपुरी को एक सांस्कृतिक तीर्थ में बदल देते हैं।इस महोत्सव का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि लोक संस्कृति के संरक्षण और अगली पीढ़ी तक इसके प्रसार का भी था।