भारत की शिक्षा व्यवस्था में आज एक बड़े और जरूरी बदलाव की आवश्यकता है। वर्तमान में अलग-अलग बोर्डों, विद्यालयों और शिक्षा प्रणालियों के कारण बच्चों के बीच समान अवसरों की कमी है। इससे न केवल शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है, बल्कि सामाजिक असमानता भी गहराती है।
समान शिक्षा प्रणाली के लागू होने से शिक्षा में पारदर्शिता और समता दोनों स्थापित होंगी। इससे न केवल विभिन्न बोर्डों के बीच तुलना की समस्या समाप्त होगी, बल्कि छात्रों का मानसिक दबाव भी कम होगा। हर छात्र को समान पाठ्यक्रम, समान मूल्यांकन पद्धति और समान संसाधन उपलब्ध होंगे, जो उनकी सर्वांगीण विकास में मदद करेंगे।
इस क्रांतिकारी बदलाव को सफल बनाने के लिए सरकार, शिक्षण संस्थान और समाज को मिलकर काम करना होगा। नीति-निर्माता इस दिशा में ठोस कदम उठाएं और समान शिक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएं। तभी हम एक ऐसा शिक्षा तंत्र बना पाएंगे जो सभी बच्चों के लिए समान, समावेशी और गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करे।