जमुई ज़िला और नालंदा के बिहारशरीफ में काम करने वाले बीड़ी मज़दूरों को आज भी अपने हक़ से वंचित रखा जा रहा है। सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मज़दूरी न मिलने के साथ ही, उन्हें किसी भी तरह की स्वास्थ्य सुविधा भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। इतना ही नहीं, इन मज़दूरों को पहचान-पत्र तक जारी नहीं किया गया है, जिससे वे सरकारी योजनाओं और लाभों से वंचित रह जाते हैं।
बिहार विधानसभा में इस गंभीर मुद्दे को उठाया गया, लेकिन सरकार की ओर से मिला जवाब आधा-अधूरा और टालमटोल वाला रहा। यह मज़दूर वर्षों से शोषण और उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं, लेकिन सरकार अब तक उनकी समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कदम उठाने में नाकाम रही है। बिहार में बदलाव की ज़रूरत है, ताकि हर मज़दूर को उसका हक़ मिल सके!
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