बिहार में वर्षों से लंबित शिक्षक बहाली प्रक्रिया अब राजनीतिक वादों और झूठे आश्वासनों का खेल बनकर रह गई है। लाखों शिक्षित बेरोजगार अभ्यर्थी हर साल बहाली की उम्मीद में आवेदन करते हैं, परीक्षा देते हैं, प्रदर्शन करते हैं, लेकिन अंततः उन्हें मिलता है सिर्फ झांसा, तारीख पर तारीख और बहानों की लंबी फेहरिस्त।
राज्य सरकार बार-बार यह दावा करती है कि शिक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जा रहा है और शिक्षकों की भारी संख्या में बहाली की जाएगी। लेकिन वास्तविकता यह है कि विज्ञापन निकलने में सालों लग जाते हैं, और जब विज्ञापन निकलते हैं तो या तो प्रक्रिया लंबी खिंच जाती है या फिर उसे किसी तकनीकी या कानूनी अड़चन के बहाने स्थगित कर दिया जाता है। इससे अभ्यर्थियों का मनोबल टूटता है और उनकी उम्र निकलती जा रही है।
आज प्रदेश के हजारों योग्य युवा TET, CTET, STET जैसी परीक्षाएं पास करने के बावजूद बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। कई ने वर्षों मेहनत की, कोचिंग की, आर्थिक तंगी झेली, लेकिन उन्हें सिर्फ चुनावी भाषणों और मीडिया बयानों में बहाली की झूठी तस्वीर दिखाई जा रही है।