शिक्षकों के स्थानांतरण की प्रक्रिया एक ऐसी व्यवस्था है, जो न केवल उनकी व्यक्तिगत और पारिवारिक जरूरतों को पूरा करती है, बल्कि उनकी कार्यक्षमता और मनोबल को भी प्रभावित करती है। लेकिन पिछले पाँच वर्षों में, शिक्षा विभाग में एक गंभीर असमानता देखने को मिली है, जहाँ केवल लगभग 40 शिक्षकों का ही स्थानांतरण किया गया है। यह संख्या न तो शिक्षकों की आवश्यकताओं के अनुरूप है और न ही उनकी मेहनत व सेवा के अनुरूप।
इस भारी असंतुलन ने शिक्षकों के बीच असंतोष और हताशा को जन्म दिया है। कई शिक्षक अपनी मूल स्थली से दूर लंबे समय तक जुड़े रहते हैं, जिससे उनके पारिवारिक जीवन और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके अलावा, यह स्थिति शिक्षा के गुणवत्ता और विद्यार्थियों के हितों पर भी विपरीत प्रभाव डाल रही है।
शिक्षक अपने कार्य क्षेत्र में सहज और सशक्त महसूस करें, यह सुनिश्चित करने के लिए स्थानांतरण नीति को अधिक पारदर्शी, न्यायसंगत और नियमित बनाया जाना अत्यंत आवश्यक है। यह अन्यायपूर्ण स्थिति न केवल शिक्षकों के हक़ के खिलाफ है, बल्कि इससे शिक्षा प्रणाली की समग्र प्रगति भी प्रभावित हो रही है। सरकार और संबंधित अधिकारियों से मेरी यह मांग है कि वे स्थानांतरण प्रक्रिया को जल्द से जल्द सुधारे