पिछले 15 वर्षों से बिहार में लाइब्रेरियन की बहाली नहीं की गई है, जिससे राज्य भर में पुस्तकालयों की स्थिति प्रभावित हो रही है। वर्तमान में 5 लाख से अधिक युवा लाइब्रेरी साइंस की डिग्री लेकर रोजगार की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस गंभीर मुद्दे को बिहार विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाया गया, जहां विधायकों ने राज्य सरकार से लाइब्रेरियन पदों पर तत्काल बहाली की मांग की।
बिहार विधानसभा में बेल्ट्रॉन (बिहार स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड) से जुड़े कर्मियों के भविष्य और अधिकारों को लेकर एक बेहद महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है।
मांग की गई है कि बेल्ट्रॉन द्वारा नियुक्त सभी कर्मियों को आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से कार्य पर लगाने के बजाय सीधे राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) के आधार पर पदस्थापित किया जाए।
यह मुद्दा इसलिए भी अहम है क्योंकि बेल्ट्रॉन के तत्कालीन प्रबंध निदेशक द्वारा 1 नवम्बर 2018 को पत्रांक 7541 के माध्यम से राज्य सरकार को यह जानकारी दी गई थी कि यदि कर्मियों की सीधी संविदा नियुक्ति विभागों में की जाए, तो इससे सरकार को हर वर्ष लगभग 50 करोड़ रुपये की बचत हो सकती है। बावजूद इसके, आउटसोर्सिंग एजेंसियों की अनावश्यक भूमिका को अब तक समाप्त नहीं किया गया है।
आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए नियुक्ति का मॉडल न सिर्फ आर्थिक रूप से नुकसानदेह है, बल्कि इससे कार्यरत कर्मियों का भारी शोषण भी हो रहा है। इन एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत कर्मचारियों को न तो नियमित वेतन मिलता है, न ही किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा