पालीगंज में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आगमन से ठीक पहले प्रशासन द्वारा सड़क किनारे स्थित लगभग 30 दुकानों को बिना किसी पूर्व सूचना के बुल्डोज़र से तोड़ दिया गया। इनमें लिट्टी-पकौड़ा, जूता-चप्पल मरम्मत, नाई की दुकानें और अन्य छोटे व्यवसाय शामिल थे, जिनसे कई परिवारों की रोज़ी-रोटी चलती थी।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये दुकानें वर्षों से चल रही थीं और अचानक इस तरह से उजाड़ना न केवल अमानवीय है, बल्कि गरीबों पर सीधा हमला है। इस कार्रवाई के विरोध में पालीगंज में प्रदर्शन हुआ, जहाँ लोगों ने नारे लगाए – "बुल्डोज़र राज नहीं चलेगा!" और पीड़ितों को मुआवज़ा देने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन से जवाबदेही तय करने और भविष्य में इस तरह की कार्रवाई से पहले वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित करने की अपील की। यह घटना आम जनता की आवाज़ और जीविका की लड़ाई बन गई है, जो सत्ता की नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर खड़ी हो रही है।
इन दुकानों में लिट्टी-पकौड़ा बेचने वाले ठेले, जूता-चप्पल सिलने वाले मोची, नाई की दुकानें और अन्य छोटे-छोटे व्यवसाय शामिल थे, जिनसे कई परिवारों का गुज़ारा होता था। इस अचानक हुई कार्रवाई से लोगों में गुस्सा और निराशा का माहौल है।
प्रभावित दुकानदारों और स्थानीय नागरिकों ने इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ पालीगंज में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। लोगों ने नारे लगाए – "बुल्डोज़र राज नहीं चलेगा!", और प्रशासन से तत्काल मुआवज़ा देने, साथ ही पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की।