पालीगंज प्रखंड के नदहरी कोदहरी पंचायत स्थित करौती गांव में मोहर्रम से पहले की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं। इसी सिलसिले में गांव के ग्रामीणों, विशेषकर युवाओं से मुलाकात का अवसर मिला। गांव में ताज़िया निर्माण का कार्य पूरे श्रद्धा, मेहनत और सामूहिक सहयोग से किया जा रहा है, जो इस बात का प्रतीक है कि मोहब्बत, एकता और आस्था की भावना आज भी गांव की आत्मा में जीवित है।
मोहर्रम केवल मातम या धार्मिक रस्म अदायगी का पर्व नहीं, बल्कि इंसाफ, सब्र और कुर्बानी का ऐतिहासिक पैगाम है। यह वह महीना है जो हमें हज़रत इमाम हुसैन की महान कुर्बानी की याद दिलाता है—एक ऐसी कुर्बानी जो अन्याय, ज़ुल्म और सत्ता के अहंकार के खिलाफ खड़े होने की ताक़त और हौसला देती है।
इस अवसर पर ग्रामीणों ने अपने दिल की बातें साझा कीं — कुछ ने ताज़िया की कहानी सुनाई, तो कुछ ने हुसैन की कुर्बानी को आज के सामाजिक-सियासी हालातों से जोड़ते हुए बताया कि कैसे आज भी यह पर्व हमें सच, न्याय और इंसानियत की राह पर चलने की प्रेरणा देता है। मोहर्रम का पैगाम वक़्त के साथ और भी प्रासंगिक हो गया है,