नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड अंतर्गत धर्मपुर गांव में घटित यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं, बल्कि लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और नागरिक अधिकारों पर सीधा हमला है। भाकपा-माले के वरिष्ठ नेता एवं किसान महासभा के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष बाखोरी प्रसाद के 16 वर्षीय पोते अमित कुमार की जिस बेरहमी से हत्या की गई, उसने पूरे इलाके में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
घटना की भयावहता इस बात को दर्शाती है कि अपराधियों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है या फिर प्रशासन की निष्क्रियता ने उन्हें इतना बेखौफ बना दिया है कि वे अब आम घरों में घुसकर, बच्चों को निशाना बनाने से भी नहीं हिचकते। यह घटना बताती है कि बिहार में कानून व्यवस्था चरमरा चुकी है, और ‘सुशासन’ का दावा करने वाली सरकार जनता की सुरक्षा करने में पूरी तरह असफल हो चुकी है।
CPI(ML) मानती है कि यह संघर्ष केवल अमित कुमार के हत्यारों को सज़ा दिलाने का नहीं, बल्कि इस पूरी व्यवस्था को जवाबदेह बनाने का संघर्ष है। यह आवाज़ उन तमाम परिवारों की भी है, जो वर्षों से अन्याय और अत्याचार झेलते आ रहे हैं, पर न्याय से वंचित हैं।
हम यह साफ़ कर देना चाहते हैं कि CPI(ML) इस जनसंघर्ष को निर्णायक मोड़ तक पहुँचाएगी। हम तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक दोषियों को सज़ा नहीं मिलती और पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिलता।
नालंदा जिले के हिलसा प्रखंड के धर्मपुर गांव में भाकपा-माले नेता और किसान महासभा के पूर्व मुखिया बाखोरी प्रसाद के 16 वर्षीय पोते अमित कुमार की नृशंस हत्या ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। यह हत्या न सिर्फ एक मासूम की ज़िंदगी छीन लेने की वीभत्स वारदात है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों और कानून व्यवस्था पर सीधा प्रहार है।
जिस प्रकार रात के अंधेरे में अपराधी घर में घुसकर इस क्रूर घटना को अंजाम देते हैं, वह इस बात का प्रमाण है कि राज्य में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और प्रशासनिक व्यवस्था लाचार नज़र आ रही है। सुशासन के दावे खोखले साबित हो रहे हैं और आम नागरिक असुरक्षित महसूस कर रहा है।
Dr. sandeep Saurav