दुल्हिन बाज़ार के निसरपुरा गांव में हाल ही में आयोजित गुरु-शिष्य हस्तशिल्प प्रशिक्षण कार्यक्रम ने स्थानीय महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस प्रशिक्षण में सुझनी कढ़ाई जैसी पारंपरिक कलाओं को सिखाया गया, जो न केवल महिलाओं के हुनर को बढ़ावा देता है, बल्कि उनकी आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाता है।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना और उनके कौशल को बढ़ाना है ताकि वे अपने हुनर के माध्यम से आर्थिक रूप से स्वतंत्र बन सकें। पारंपरिक हस्तशिल्प कला को संरक्षित करते हुए, यह पहल ग्रामीण महिलाओं को नए बाजारों से जोड़ती है और उन्हें अपनी कारीगरी को व्यवसाय के रूप में स्थापित करने का मौका देती है।
निसरपुरा गांव में इस प्रकार के कार्यक्रम से न केवल महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधर रही है, बल्कि ग्रामीण समाज में भी बदलाव की लहर दौड़ रही है। यह प्रशिक्षण स्थानीय कारीगरों को समर्थ बनाता है और आने वाले वर्षों में इन कलाओं को जीवित रखने का काम करेगा। साथ ही, यह पहल महिलाओं के सशक्तिकरण का एक उदाहरण है, जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर पूरे परिवार और समुदाय के विकास में योगदान देने में मदद करेगा।