बिहार में सामने आए SIR घोटाले ने न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह लोकतंत्र, मताधिकार और सामाजिक न्याय के खिलाफ एक गहरी साजिश का संकेत भी देता है। यह घोटाला दलितों, पिछड़ों, गरीबों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास माना जा रहा है। ऐसे में सिर्फ बहस या नारों से नहीं, बल्कि अब ठोस संवैधानिक कार्रवाई की आवश्यकता है।
महागठबंधन और विपक्षी दलों ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि बिहार विधानसभा में SIR घोटाले के खिलाफ औपचारिक प्रस्ताव पारित किया जाए। यह प्रस्ताव केवल राजनीतिक औपचारिकता नहीं होगा, बल्कि यह जनता को यह संदेश देगा कि लोकतांत्रिक संस्थाएं भ्रष्टाचार और साजिश के खिलाफ एकजुट हैं।
सदन की चुप्पी अब स्वीकार्य नहीं है। जब राज्य की जनता का विश्वास और संवैधानिक अधिकार दांव पर लगे हों, तब सदन की जिम्मेदारी है कि वह साफ़ और दृढ़ रुख अपनाए। प्रस्ताव पारित कर यह दिखाया जाए कि बिहार में पारदर्शिता, न्याय और जवाबदेही सर्वोपरि है। महागठबंधन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि सरकार इस मुद्दे पर चुप रही, तो यह आंदोलन सदन से सड़क तक पहुंचेगा।