पालीगंज आज बदलाव के एक नए अध्याय की ओर बढ़ रहा है। जनता का उत्साह और ऊर्जा यह स्पष्ट कर रही है कि अबकी बार माहौल पूरी तरह से परिवर्तन के पक्ष में है। गलियों से लेकर चौक-चौराहों तक, हर जगह एक ही आवाज़ गूंज रही है — “बदलो सरकार, बदलो बिहार!” यह नारा केवल एक राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि जनता की वर्षों से चली आ रही आकांक्षाओं और उम्मीदों का प्रतीक बन चुका है।
महागठबंधन के समर्थन में जनता की भागीदारी और विश्वास दिन-ब-दिन मज़बूत हो रहा है। किसान, मज़दूर, युवा और महिलाएँ — सभी वर्गों के लोग अपने-अपने मुद्दों को लेकर एक साझा उम्मीद के साथ खड़े हैं। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के सवाल अब चुनावी मंच से निकलकर जनता के दिलों की आवाज़ बन चुके हैं।
14 नवंबर का दिन पालीगंज ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार के लिए ऐतिहासिक साबित होगा। यह दिन भरोसे, संघर्ष और जनता की एकजुटता का प्रतीक बनेगा। जनता ने ठान लिया है कि अबकी बार विकास और न्याय की राजनीति को मौका देना है। महागठबंधन की सरकार जनता की इसी आकांक्षा और उम्मीद का प्रतिबिंब बनेगी ।