जनसुनवाई की परंपरा केवल एक पहल नहीं, बल्कि जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित करने का एक सशक्त और संवेदनशील माध्यम है, जो लगातार पाँच वर्षों से हर रविवार बिना किसी बाधा के जारी है। यह एक ऐसा मंच है जहाँ आम नागरिक अपनी समस्याएं, सवाल, पीड़ा और सुझाव लेकर सीधे पहुंचते हैं, और उन्हें सुना जाता है — गंभीरता, सहानुभूति और प्रतिबद्धता के साथ।
इस पहल की सबसे बड़ी खासियत इसकी निरंतरता और पारदर्शिता है। न कोई अवकाश, न कोई बहाना — हर रविवार यह जनसुनवाई सुनिश्चित करती है कि कोई भी नागरिक अपने मुद्दों को लेकर अकेला महसूस न करे। चाहे वह भूमि विवाद हो, भ्रष्टाचार की शिकायत, सरकारी योजनाओं का लाभ न मिलना हो या फिर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही, हर आवाज़ को जगह मिलती है और हर समस्या पर त्वरित संज्ञान लिया जाता है।
यह जनसुनवाई केवल समस्याएं दर्ज करने तक सीमित नहीं रहती, बल्कि जहाँ भी संभव होता है, वहीं से प्रशासनिक अधिकारियों से बात करके समाधान की प्रक्रिया शुरू की जाती है। कई बार यह मंच सरकारी तंत्र और जनता के बीच एक पुल का काम करता है, जहाँ भरोसे और संवाद की नींव पर जनतंत्र को मजबूत किया जाता है।