पालीगंज में विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान के खिलाफ एक जोरदार प्रतिवाद मार्च निकाला गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। इस मार्च के जरिए चुनाव आयोग के उस फैसले का विरोध किया गया, जिसमें दलितों, पिछड़ों, गरीबों और वंचित तबकों को मतदाता सूची से बाहर करने की साजिश की आशंका जताई गई है।
मार्च में शामिल लोगों ने नारे लगाए – “मतदान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ”, और हाथों में तख्तियाँ लिए सड़क पर उतरकर अपने गुस्से और असहमति को स्पष्ट रूप से प्रकट किया। मार्च के बाद आयोजित प्रतिशोध सभा में वक्ताओं ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा कि वह मोदी सरकार के इशारे पर संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने का काम कर रहा है।
इस प्रतिवाद मार्च और सभा में छात्र, नौजवान, महिलाएं, किसान, मजदूर और विभिन्न राजनीतिक-सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। यह आंदोलन अब एक जनांदोलन का रूप ले रहा है, जो सत्ता के मनमाने फैसलों के खिलाफ एकजुटता और प्रतिरोध की मिसाल पेश कर रहा है।