अररिया में वक़्फ़ संशोधन अधिनियम के विरोध में एक जनसभा का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। वक्ताओं ने अधिनियम को अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों के विरुद्ध बताया और इसे तुरंत रद्द करने की मांग की। सभा में सामाजिक संगठनों, धार्मिक नेताओं और आम नागरिकों ने मिलकर अपनी एकजुटता दिखाई और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध दर्ज कराया।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि यह अधिनियम वक़्फ़ संपत्तियों पर सरकार के नियंत्रण को बढ़ाता है और धार्मिक स्वतंत्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है। वक्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि वक़्फ़ संपत्तियाँ मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षणिक और धार्मिक जरूरतों के लिए होती हैं और सरकार को इनपर हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं होना चाहिए।
इस दौरान लोगों ने हाथों में तख्तियाँ लेकर नारेबाज़ी की और शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध प्रकट किया। वक्ताओं ने यह भी चेतावनी दी कि अगर सरकार ने अधिनियम को वापस नहीं लिया तो देशभर में व्यापक जनांदोलन किया जाएगा। उन्होंने सभी समुदायों से लोकतांत्रिक ढंग से इस कानून का विरोध करने की अपील की।कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान और सामूहिक शांति प्रार्थना के साथ हुआ, जिसमें सभी उपस्थित लोगों ने न्याय और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट रहने का संकल्प लिया।