आज हम भारत रत्न, संविधान निर्माता, सामाजिक न्याय के प्रतीक और करोड़ों शोषित-पीड़ित लोगों के मसीहा बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती मना रहे हैं। यह दिन सिर्फ एक महान व्यक्ति के जन्म का स्मरण नहीं है, बल्कि एक विचार, एक आंदोलन और एक सामाजिक क्रांति को नमन करने का अवसर है।
बाबा साहब ने जीवनभर सामाजिक समानता, शिक्षा, मानवाधिकार और संविधानिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने न सिर्फ दलितों, बल्कि समाज के हर उस वर्ग के लिए आवाज़ उठाई जो वर्षों से वंचित और शोषित रहा। उनका सपना था – एक ऐसा भारत जहाँ हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार मिले, चाहे उसकी जाति, धर्म या वर्ग कुछ भी हो।
उनका योगदान न केवल भारत के संविधान निर्माण में अमूल्य रहा, बल्कि उन्होंने हमें यह भी सिखाया कि शिक्षा, संगठन और संघर्ष – ये तीन ही स्तंभ हैं आत्मसम्मान और अधिकारों की प्राप्ति के।आइए, आज के दिन हम सभी बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करें और एक समतामूलक, न्यायपूर्ण और जागरूक समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।