पालीगंज में आज एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब महागठबंधन समर्थित भाकपा (माले) के प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया गया। यह नामांकन सिर्फ एक औपचारिक प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि पालीगंज की जनता के अटूट भरोसे और विश्वास की पुनर्पुष्टि थी। हज़ारों की संख्या में मौजूद कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ ने यह साफ़ कर दिया।
पिछले कार्यकाल में पालीगंज के गाँव-गाँव तक विकास की लहर पहुँची। सड़कों का निर्माण हुआ, पुल बने, पुस्तकालयों की स्थापना हुई — यह सब जनता की सहभागिता और भरोसे का नतीजा था। हर आंदोलन, हर संघर्ष, हर जनविरोधी नीति के खिलाफ़ आवाज़ उठाने में पालीगंज की जनता और उसके प्रतिनिधि ने एकजुट होकर अपनी भूमिका निभाई।
अब जब चुनाव का समय आया है, तो पालीगंज फिर एक बार तैयार है अपने भरोसे को और मज़बूत करने के लिए। यहाँ की जनता ने मन बना लिया है कि अबकी बार चुनाव किसी व्यक्ति का नहीं, बल्कि भरोसे और विकास के उस सफ़र का होगा, जिसे पिछले पाँच सालों में मज़बूती मिली है। 14 नवंबर को पालीगंज यह संदेश पूरे बिहार को देगा कि जब जनता एकजुट होती है, तो लोकतंत्र में भरोसा ही सबसे बड़ी ताक़त बन जाता है।