जनसेवा का असली अर्थ केवल सत्ता में रहना नहीं, बल्कि जनता की समस्याओं को समझना और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाना है। इसी सोच के साथ नियमित रूप से जनसुनवाई का आयोजन किया जाता है, ताकि आम नागरिकों को अपनी बात रखने का सीधा अवसर मिले। यह जनसुनवाई केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि जनता की परेशानियों और आवश्यकताओं को नज़दीक से जानने का एक सशक्त जरिया भी है।
पिछले कई वर्षों से हर रविवार को तय समय और तय स्थान पर जनता के बीच बैठकर उनकी समस्याएँ सुनी जाती रही हैं। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, रोजगार, सरकारी योजनाओं का लाभ और व्यक्तिगत स्तर की दिक़्क़तें – हर विषय पर खुलकर चर्चा होती है। इस प्रक्रिया से न केवल जनता को भरोसा मिलता है, बल्कि समाधान के लिए आवश्यक पहल तुरंत करने का मार्ग भी प्रशस्त होता है।
हमारी प्राथमिकता हमेशा यही रही है कि जनता को अपने अधिकार और सुविधाएँ समय पर मिलें। समस्याओं का समाधान केवल कागज़ों में न रहे, बल्कि ज़मीन पर दिखे। जनसुनवाई में उठाए गए मुद्दों पर विभागीय अधिकारियों और प्रशासन को तुरंत आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाते हैं, ताकि शिकायतकर्ता को वास्तविक राहत मिल सके।