12 अगस्त को गर्दनीबाग का मैदान एक ऐतिहासिक पल का साक्षी बनने जा रहा है, जब गुलाबी साड़ियों में सजी हजारों महिलाएं अपनी आवाज़, अपने अधिकार और अपनी पहचान के लिए एकजुट होकर शक्ति का प्रदर्शन करेंगी। यह सिर्फ एक रंग या परिधान नहीं, बल्कि संगठित नारी चेतना, आत्मसम्मान और संघर्ष का प्रतीक बन चुका है।
यह प्रदर्शन उन मुद्दों की ओर ध्यान दिलाने का प्रयास है, जो वर्षों से अनदेखे रहे—चाहे वह महिलाओं की शिक्षा हो, सम्मानजनक रोजगार, सुरक्षित समाज, या बराबरी का हक। यह छोटी-छोटी जीतों का उत्सव भी है, और बड़ी लड़ाइयों के लिए एक सशक्त शुरुआत भी। गुलाबी साड़ी अब एक आंदोलन बन चुकी है—शांत, पर दृढ़; साधारण, पर अत्यंत प्रभावशाली।
यह आयोजन नारी सशक्तिकरण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। महिलाएं वर्षों से शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सम्मान और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर संघर्ष कर रही हैं, लेकिन उनकी आवाज़ अक्सर अनसुनी रह जाती है। यह आंदोलन उन आवाज़ों को एक मंच देने का प्रयास है—जहाँ हर आम महिला खास बनकर खड़ी हो, जहाँ उसकी चुप्पी को ताकत मिले और जहाँ उसका संघर्ष एकता में बदल जाए।