समदा पुल सिर्फ एक बुनियादी ढांचा नहीं, बल्कि पालीगंज की जनता के संघर्ष, जिद और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह वह सपना था जिसे अनगिनत लोगों ने वर्षों तक देखा, पर लंबे समय तक सरकार और सिस्टम ने अनसुना कर दिया।जब सदन में आवाज नहीं सुनी गई, तब पालीगंज की जनता ने सड़क पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़ी।
यह आंदोलन केवल एक पुल के लिए नहीं, बल्कि विकास और सम्मान के अधिकार के लिए था।आज समदा पुल का शिलान्यास यह साबित करता है कि जब इरादा मजबूत हो और नेतृत्व ईमानदार, तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता। यह जनता के सहयोग, संघर्ष और नेतृत्व की दृढ़ इच्छाशक्ति का नतीजा है।
वर्षों से समदा क्षेत्र के लोग एक पुल की माँग कर रहे थे, जो पालीगंज को आसपास के इलाकों से सीधे जोड़े और आवाजाही को आसान बनाए। लेकिन अफ़सोस, सरकारों ने इस माँग को लगातार नजरअंदाज किया। जब सदन में इस मुद्दे को उठाया गया, तब भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला।