बिहार विधानसभा में बेल्ट्रॉन द्वारा नियुक्त कर्मियों को लेकर एक अहम मांग उठाई गई है। मांग की गई है कि इन कर्मियों को आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से काम पर रखने की बजाय सीधे विभिन्न सरकारी विभागों में संविदा (कॉन्ट्रैक्ट) के आधार पर नियुक्त किया जाए।
गौरतलब है कि बेल्ट्रॉन के तत्कालीन प्रबंध निदेशक द्वारा जारी पत्रांक 7541, दिनांक 01.11.2018 में यह स्पष्ट किया गया था कि यदि कर्मियों को सीधे विभागीय संविदा पर नियुक्त किया जाए, तो इससे राज्य सरकार को लगभग 50 करोड़ रुपये की वार्षिक बचत हो सकती है। इसके बावजूद, सरकार द्वारा आउटसोर्सिंग एजेंसियों को बीच में रखा गया है, जिससे कर्मियों का शोषण हो रहा है और वे अपने अधिकारों से वंचित हो रहे हैं।
आउटसोर्सिंग एजेंसियां न केवल कर्मियों का आर्थिक शोषण कर रही हैं, बल्कि उन्हें अस्थिरता, न्यूनतम वेतन, और सामाजिक सुरक्षा से भी वंचित कर रही हैं। ऐसे में यह मांग अब और भी ज़ोर पकड़ रही है कि इन एजेंसियों की भूमिका को समाप्त कर कर्मियों को सीधे सरकारी विभागों में संविदा पर नियुक्त किया जाए, जिससे उन्हें स्थायित्व, सम्मानजनक वेतन और भविष्य की सुरक्षा मिल सके।