राज्य भर में राजस्व कर्मचारियों द्वारा अपनी वाजिब और लंबित मांगों को लेकर चलाया जा रहा आंदोलन अब एक जनआंदोलन का रूप लेता जा रहा है। इन कर्मचारियों की मांगें न केवल उनकी सेवा शर्तों, वेतनमान और पदोन्नति से जुड़ी हैं, बल्कि वे प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता और दक्षता को बेहतर बनाने से भी संबंधित हैं। राजस्व कर्मियों की ये मांगें पूरी तरह से न्यायोचित और व्यवहारिक हैं, और सरकार को चाहिए कि वह उनके साथ सकारात्मक वार्ता कर शीघ्र समाधान निकाले।
मैंने व्यक्तिगत रूप से इस आंदोलन का समर्थन करते हुए यह स्पष्ट किया है कि राजस्व कर्मचारी प्रशासन की रीढ़ होते हैं, जो भूमि रिकॉर्ड, मुआवज़ा वितरण, आपदा राहत, कर संग्रह और किसानों से जुड़े हर कार्य में अपनी जिम्मेदारियाँ निभाते हैं। लेकिन लंबे समय से वे समान काम के लिए असमान वेतन, पदस्थापन में भेदभाव, और काम का अत्यधिक बोझ जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं।
यह समर्थन केवल एक राजनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि उन लाखों कर्मचारियों के सम्मान और अधिकार की बात है, जो हर मौसम, हर परिस्थिति में जनता की सेवा में तत्पर रहते हैं। उनका हक़ मिलना चाहिए, और हम सबको उनके साथ खड़े होकर इस न्यायपूर्ण संघर्ष को बल देना चाहिए। लेकिन लंबे समय से वे समान काम के लिए असमान वेतन, पदस्थापन में भेदभाव, और काम का अत्यधिक बोझ जैसी समस्याओं