विद्यालय रात्रि प्रहरी, जो हर रात हमारे स्कूलों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, आज खुद असुरक्षित हैं—न्याय, वेतन, सेवा स्थायित्व और सम्मान से वंचित। वर्षों से वे बेहद कम पारिश्रमिक पर कार्य कर रहे हैं, बिना किसी सेवा शर्त, स्थायीत्व या सामाजिक सुरक्षा के। ये वे लोग हैं जो बच्चों की किताबों, भवनों और विद्यालय संपत्तियों की रातभर निगरानी करते हैं, ताकि अगली सुबह बच्चों को एक सुरक्षित वातावरण मिल सके।
लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे कर्मठ और समर्पित रात्रि प्रहरियों की आवाज़ को लंबे समय तक अनसुना किया गया। आज वे अपने अधिकारों के लिए संगठित होकर आवाज़ उठा रहे हैं—और हम सब इस न्यायोचित संघर्ष में उनके साथ खड़े हैं। यह केवल एक वेतन या स्थायी नौकरी की मांग नहीं है, बल्कि यह
सम्मान, गरिमा और जीवन की मूलभूत सुरक्षा की मांग है।
हमारा समर्थन इस बात का प्रतीक है कि जब भी कोई वर्ग उपेक्षित होता है, समाज के जागरूक नागरिक और प्रतिनिधि उसकी लड़ाई में सहभागी बनते हैं। यह समर्थन केवल एक संवेदना नहीं, बल्कि यह एक
संकल्प है कि जब तक रात्रि प्रहरियों को उनका हक़ नहीं मिल जाता, यह संघर्ष जारी रहेगा। रात्रि प्रहरियों को नियमित किया जाए