यह न केवल नियमों के विरुद्ध है, बल्कि उन युवाओं के भविष्य के साथ अन्याय भी है जिन्होंने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। अभ्यर्थियों की यह माँग पूरी तरह से न्यायोचित है कि वर्तमान और वैध प्रमाण पत्रों को मान्यता दी जाए। यह आंदोलन सिर्फ कागज़ों के लिए नहीं, बल्कि उस भविष्य की उम्मीदों और सपनों के लिए है जो इन युवाओं ने अपने देश की सेवा के लिए देखे हैं। सरकार को चाहिए कि वह अभ्यर्थियों की आवाज़ सुने और शीघ्र इस समस्या का समाधान कर न्याय सुनिश्चित करे।
पटना के गर्दनीबाग में इन दिनों एक ऐसा आंदोलन चल रहा है जो केवल एक सरकारी प्रक्रिया की खामी के खिलाफ नहीं, बल्कि हज़ारों युवाओं के टूटते सपनों के खिलाफ आवाज़ है। ये वे युवा हैं जिन्होंने बिहार सरकार द्वारा आयोजित सिपाही भर्ती परीक्षा में सफलता पाई है। कड़ी मेहनत, वर्षों की तैयारी और संघर्ष के बाद ये अभ्यर्थी जब अपने चयन के अंतिम पड़ाव पर पहुँचे, तब प्रशासन की एक अनपेक्षित शर्त ने इनकी उम्मीदों को झटका दे दिया।
यह न केवल प्रशासनिक असंवेदनशीलता का परिचायक है, बल्कि युवाओं के आत्मसम्मान और भविष्य के साथ एक गंभीर अन्याय भी है। ये वही युवा हैं जिन्होंने बेरोजगारी और अस्थिरता के दौर में देशसेवा का सपना देखा था। जिनकी आँखों में वर्दी पहनकर समाज की सेवा करने की उम्मीद थी। आज वे गर्दनीबाग की सड़कों पर न्याय की गुहार लगा रहे हैं।