भारत और अमेरिका के बीच हाल के वर्षों में जिस मित्रता और सहयोग की बड़ी-बड़ी बातें की गईं, उसका सच अब सामने आ चुका है। ट्रंप सरकार ने भारत पर 50% टैरिफ का नोटिस जारी कर दिया है। यह कदम इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि जिन रिश्तों को “रणनीतिक साझेदारी” और “दोस्ती” कहकर प्रचारित किया गया था, वे केवल खोखले वादे और नकली दिखावा साबित हुए हैं।
मोदी सरकार की तथाकथित “झप्पी डिप्लोमेसी” और व्यक्तिगत रिश्तों की राजनीति से उम्मीद की जा रही थी कि भारत को आर्थिक लाभ और वैश्विक मंच पर मजबूती मिलेगी। लेकिन इसके ठीक उलट हुआ—अमेरिका ने व्यापार पर ऐसा बड़ा प्रहार किया है, जिससे भारत के निर्यातकों, व्यापारियों और उद्योगों पर भारी संकट खड़ा हो गया है।
यह केवल एक आर्थिक झटका नहीं है, बल्कि विदेश नीति की असफलता का जीवंत उदाहरण है। सरकार की विफकूटनीति ने भारत की अर्थव्यवस्था को कमजोर किया है और देश के हितों की रक्षा करने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। स्पष्ट है कि झूठे वादों और नकली दोस्ती के भरोसे देश नहीं चल सकता। अब समय आ गया है कि भारत की विदेश नीति को मजबूत, ठोस और व्यावहारिक दिशा दी जाए,