संवाद की साख" एक ऐसी परंपरा और भावना का नाम है, जो जनप्रतिनिधित्व को केवल कुर्सी तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उसे ज़मीन से जोड़ती है। यह विश्वास, भरोसा और उत्तरदायित्व का वह सेतु है, जो जनता और जनप्रतिनिधि के बीच मजबूत होता है –
हर उस मौके पर जब कोई समस्या सुनी जाती है, समझी जाती है और समाधान की दिशा में कदम बढ़ाया जाता है। पालीगंज के धरहरा मोड़ स्थित शबरी भवन में हर रविवार आयोजित होने वाला जनसंवाद-जनसुनवाई कार्यक्रम इस साख का जीवंत उदाहरण है।
यह मंच सिर्फ़ शिकायत दर्ज करने का स्थान नहीं, बल्कि एक लोकतांत्रिक संवाद का प्रतीक है — जहाँ जनता अपनी बात बेहिचक कह सकती है, और जनप्रतिनिधि उसे गंभीरता से सुनते हैं। पिछले चार वर्षों से बिना रुके चल रही यह परंपरा इस बात का प्रमाण है कि जब संवाद निरंतर होता है, तो विश्वास गहराता है और उम्मीदें ज़िंदा रहती हैं।
यही संवाद, यही साख हमारे जनसंपर्क, संघर्ष और सेवा का आधार है। "संवाद की साख" सिर्फ़ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक भरोसे की मिसाल है — जहाँ हर रविवार एक नई उम्मीद जन्म लेती है, और लोकतंत्र का असली चेहरा सामने आता है। Dr Sandeep Saurav