इस बार का चुनाव केवल सत्ता परिवर्तन का नहीं, बल्कि देश की दिशा और दशा तय करने का चुनाव है। जनता के बीच जो सबसे प्रमुख मुद्दे उभरकर सामने आए हैं, वे हैं – बढ़ती महंगाई, गहराती बेरोज़गारी, और संविधान, लोकतंत्र तथा आरक्षण की रक्षा।
महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। रसोई का बजट बिगड़ चुका है, रोज़मर्रा की चीज़ें आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। वहीं, बेरोज़गारी खासकर युवाओं में चिंता और असंतोष का बड़ा कारण बन गई है। लाखों शिक्षित युवा रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन स्थायी और सम्मानजनक नौकरियों का घोर अभाव है।
इन आर्थिक संकटों के साथ ही जनता के मन में यह भी चिंता गहराई है कि कहीं संविधान की मूल भावना – जिसमें समानता, न्याय और स्वतंत्रता की बात की गई है – को कमजोर न किया जाए। लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वायत्तता, आरक्षण जैसे सामाजिक न्याय के उपाय, और जन अधिकारों की रक्षा अब लोगों के लिए निर्णायक मुद्दे बन चुके हैं