सामाजिक न्याय केवल एक विचार नहीं, बल्कि यह उस संघर्ष का नाम है जो समाज के हर वंचित, शोषित और उपेक्षित वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ा जाता है। यह वह संकल्प है, जो समानता और बराबरी के समाज की नींव रखता है। जब तक समाज का कोई भी वर्ग भेदभाव और वंचना का शिकार रहेगा, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा।
वंचित समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना सिर्फ एक सामाजिक ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान के प्रति निष्ठा का प्रमाण है। यही कारण है कि हम मानते हैं – सामाजिक न्याय की लड़ाई तब तक अधूरी है, जब तक समाज का सबसे आख़िरी व्यक्ति न्याय और बराबरी का अनुभव न कर ले।