बिहार में दलितों और गरीबों की स्थिति दशकों से चुनौतीपूर्ण बनी हुई है। सामाजिक-आर्थिक असमानता, भेदभाव और उपेक्षा ने इन वर्गों को हमेशा ही पिछड़ेपन और हाशिए पर धकेला है। ऐसे में उनकी आवाज़ उठना और बदलाव की मांग करना स्वाभाविक है। यह आवाज सिर्फ अधिकारों की मांग नहीं, बल्कि न्याय, समानता और बेहतर जीवन की पुकार है।
दलितों और गरीबों की इस हुंकार में बिहार के वर्तमान शासन व्यवस्था से असंतोष स्पष्ट झलकता है। वे बदलाव चाहते हैं — ऐसी सरकार जो उनकी समस्याओं को समझे, उनकी पीड़ा को महसूस करे और उनके उत्थान के लिए ठोस कदम उठाए। "बदलो बिहार, बदलो सरकार" का नारा यही प्रतिबिंबित करता है कि अब समय आ गया है जब बिहार में न्यायपूर्ण और समावेशी शासन प्रणाली स्थापित हो।