देशभर में वक़्फ़ संशोधन कानून को लेकर विरोध की लहर तेज होती जा रही है। कई सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक संगठनों ने इस कानून को संविधान विरोधी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कानून अल्पसंख्यकों के अधिकारों और संविधान में दिए गए समानता के सिद्धांतों के विरुद्ध है।
आंदोलनकारियों का आरोप है कि वक़्फ़ संपत्तियों को लेकर जो संशोधन किए गए हैं, वे पारदर्शिता, न्याय और जनहित के मूलभूत सिद्धांतों को दरकिनार करते हैं। उनका यह भी कहना है कि इस संशोधन से ना सिर्फ समुदाय विशेष की संपत्तियों पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों के हनन की दिशा में एक खतरनाक कदम है।
देश के कई हिस्सों में इस कानून के खिलाफ रैलियां, विरोध मार्च, और नुक्कड़ सभाएं आयोजित की जा रही हैं। वक्ताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि यह कानून राजनीतिक लाभ और ध्रुवीकरण के मकसद से लाया गया है, जो लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है।